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Chittorgarh |
राजस्थान में स्थित चित्तौड़गढ़ अपने गौरवशाली इतिहास, अपनी वीरता और त्याग के लिए पूरे विश्व में ख्याति प्राप्त है। चित्तौड़गढ़ अपने प्राचीन स्मारकों, समृद्ध संस्कृति, युध्द विरासत और राजसी महिमा के कारण आज भी अपने इतिहास को दिखाता है। चित्तौड़गढ़ में घूमने की जगह बहुत खूबसूरत हैं।चित्तौड़गढ़ अपने किले के लिए काफी मशहूर है।
इसके अलावा यहां के भव्य महल और मंदिर ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को दर्शाते हैं। भार्तीय इतिहास के अनुसार चित्तौड़गढ़ भारत के सबसे पुराने शहरों में से एक है। यह महाराणा प्रताप सिंह जैसे शूरवीरों की जन्मभूमि है। भार्तीय इतिहास के अनुसार चित्तौड़गढ़ भारत के सबसे पुराने शहरों में से एक है। यह महाराणा प्रताप सिंह जैसे शूरवीरों की जन्मभूमि है।
1. चित्तौड़गढ़ का इतिहास History of Chittorgarh in Hindi
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chittorgarh |
चित्तौड़गढ़ राजस्थान के चित्तौड़गढ़ ज़िले का नगर है। भारत वीर पुत्र महाराणा प्रताप यहाँ के राजा थे। चित्तौड़गढ़ 1568 तक मेवाड़ की राजधानी थी,और उसके बाद उदयपुर को मेवाड़ की राजधानी बना दिया गया। चित्तौड़गढ़ का इतिहास बहुत पुराना है, इसका सम्बन्ध महाभारत काल से भी जोड़ा जाता है। पांच पांडवों में से महाबली भीम अमरत्व की तलाश में यहाँ आए थे।चित्तौड़गढ़ नगर का निर्माण 7 वीं शताब्दी में चित्रांगद मौर्य के द्वारा कराया गया था।
इस दुर्ग का निर्माण चित्रकूट पहाड़ी पर कराया गया है। लगभग 8 वीं शताब्दी में गुहिल राजवंश के संस्थापक बप्पा रावल ने मौर्य वंश के अंतिम शासक मानमोरी को युध्द में हरा कर मेवाड़ को अपने अधिकार में ले लिया। करीब 724 ई. वी. में चित्तौड़गढ़ दुर्ग का निर्माण किया गया। चित्तौड़गढ़ बप्पा रावल, महाराणा सांगा, महाराणा कुम्भा,राणा रतन सिंह और महाराणा प्रताप रानी पद्मिनी और श्री कृष्ण, मीराबाई के भक्तों सहित राजपूत वंशों के शासकों के लिए जाना जाता है।
वर्ष 1303 में दिल्ली के शासक अलाउद्दीन खिलजी ने रानी पद्मिनी पर मोहित होकर चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण कर दिया। चित्तौड़गढ़ पहले ही राणा रतन सिंह की रक्षा के लिए अपने 7000 सैनिक खो चुका था। जब आत्मसमर्पण के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा तब रानी पद्मिनी ने किले में स्थित हज़ारों औरतों के साथ जौहर कुण्ड में आत्मदाह कर लिया था। 1572 में महाराणा प्रताप का शासनकाल आया, उस समय चित्तौड़गढ़ तरक्की पर था।
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2. चित्तौड़गढ़ में घूमने की जगह Places to Visit in Chittorgarh in Hindi
2.1 चित्तौड़गढ़ दुर्ग Chittorgarh Fort in Hindi
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chittorgarh fort |
चित्तौड़गढ़ दुर्ग 7 दरवाजे़ वाला भारत का सबसे बड़ा दुर्ग है। इसका निर्माण 7 वीं शताब्दी में चित्रांगद मौर्य ने कराया था। चित्तौड़गढ़ दुर्ग राजपूत शासकों की वीरता, शौर्य और साहस का प्रतीक है। चित्तौड़गढ़ 1568 तक मेवाड़ की राजधानी थी, उसके बाद उदयपुर को राजधानी बना दिया गया। इस दुर्ग को चित्रकूट पहाड़ी पर बनाया गया है। इसके बारे में कहा जाता है कि "गढ़ तो चित्तौड़गढ़ बाकी सब गढ़ैया"।
इस दुर्ग पर महाराणा सांगा, महाराणा कुम्भा,राणा रतन सिंह और महाराणा प्रताप जैसे राजपूत राजाओं ने राज किया है। चित्तौड़गढ़ दुर्ग 180 मीटर ऊँची पहाड़ी पर बना है। यह दुर्ग 700 ऐकड़ की भूमि पर फैला हुआ है। अपने ऐतिहासिक महत्व के कारण यह दुर्ग यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल है। इस दुर्ग में बहुत सी ऐतिहासिक इमारतें हैं, जिस कारण यह किला चित्तौड़गढ़ का मुख्य आकर्षण का केंद्र है।
2.2 विजय स्तम्भ Vijay Stambh Chittorgarh in Hindi
विजय स्तम्भ को विजय टावर भी कहा जाता है। इसका निर्माण महाराणा कुम्भा ने 1448 में महमूद खिलजी की सेना पर विजय के जश्न में बनवाया था। विजय स्तम्भ 9 मंज़िला ऊॅंचा टाॅवर है, जिस कारण यह दूर से भी दिखाई पड़ता है। इस 9 मंज़िला टाॅवर में हिन्दू देवी देवता की प्रतिमाएँ बनी है। सबसे ऊपरी हिस्से पर जैन देवी पद्मावती की प्रतिमा है। स्तम्भ के आंतरिक भाग पर उस समय के हथियार, वाध्य यंत्र इत्यादि की छवि बनाई गई है। जिस कारण इसकी खूबसूरती और अधिक बढ़ गई है।
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2.3 कीर्ति स्तम्भ चित्तौड़गढ़ Kirti Stambh Chittorgarh in Hindi
कीर्ति स्तम्भ चित्तौड़गढ़ के मुख्य आकर्षण केन्द्रों में से एक है। चित्तौड़गढ़ किले के अन्दर 12 वीं शताब्दी में बना हर स्तम्भ प्रथम जैन तीर्थंकर आदिनाथ जी के स्मारक के रूप में बनाया गया है। यह स्तम्भ 22 मीटर ऊँचा है। इस स्तम्भ का निर्माण जैन व्यपारी जीजा भागरवाला ने रावल कुमार सिंह के शासन काल के दौरान जैन धर्म का महिमामंडन करने के लिए किया था।
इस कीर्ति स्तम्भ को जैन धर्म के अनुयायिओं द्वारा जैन तीर्थ स्थल के रूप में माना जाता है। कीर्ति स्तम्भ को टाॅवर ऑफ फेम के नाम से भी जाना जाता है। इस 7 मंज़िला स्तम्भ में श्री आदिनाथ जी की अद्भुत मूर्तियां हैं। चित्तौड़गढ़ में बहुत अधिक संख्या में सैलानी इस स्तम्भ को देखने के लिए आते हैं।
2.4 फतह प्रकाश पैलेस चित्तौड़गढ़ Fateh Prakash Palace Chittorgarh in Hindi
चित्तौड़गढ़ किले के भीतर स्थित फतह प्रकाश पैलेस जिसकी भव्यता लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। इसका निर्माण राणा फतह सिंह के शासनकाल में हुआ था। यह महल राजस्थानी शैली में निर्मित कई गलियारों और स्तम्भों से सुसज्जित है। इस पैलेस को राणा फतह सिंह अपने निवास स्थान के रूप में उपयोग करते थे। अब महल के बड़े हिस्से को संग्रहालय के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है।
राणा फतह सिंह कला प्रेमी थे, यह उनके फतह प्रकाश पैलेस में पाए गए कलाकृतियों के संग्रह से पता चलता है। उनकी कलाकृतियां बहुत ही दुर्लभ और प्रचुर थीं, इसलिए उन्हें संग्राहलय में रखा गया है। संग्रहालय में क्रिस्टल वस्तुओं का भी एक बड़ा संग्रह है। इसके अलावा और भी बहुत सी खूबसूरत वस्तुऐं संग्रहालय में देखने को मिलेंगी।
2.5 रतन सिंह पैलेस चित्तौड़गढ़ Ratan Singh Palace Chittorgarh in Hindi
रतन सिंह पैलेस चित्तौड़गढ़ दुर्ग परिसर में स्थित एक बहुत सुंदर और आकर्षक महल है। महाराणा रतन सिंह द्वितीय राणा सांगा के पुत्र थे। वह 1527 से 1531 तक बहुत कम समय के लिए गद्दी पर बैठे। महाराणा रतन सिंह द्वितीय ने अपने जीवन काल के दौरान शाही परिवार के शीतकालीन निवास के लिए एक बहुत ही भव्य पैलेस का निर्माण कराया ,जिसे रतन सिंह पैलेस कहा जाता है। यह महल झील के किनारे स्थित है, जिस्से इसकी खूबसूरती और बढ़ जाती है। जो भी यहाँ घूमने आता है वह राजस्थानी वास्तुकला, प्रवेश द्वार, भव्य परागण, सुसज्जित छतरियां आदि को देख कर आश्चर्यजनक स्थिति में पड़ जाता है।
2.6 गौमुख कुण्ड चित्तौड़गढ़ Gaumukh Kund Chittorgarh in Hindi
गौमुख कुण्ड चित्तौड़गढ़ किले के अन्दर स्थित एक पवित्र जलाशय है। इस कुण्ड को चित्तौड़गढ़ का तीर्थ राज भी कहा जाता है। गौमुख यानि होता है "गाय के मूह के आकार का"। इस कुण्ड में पानी चट्टानों के बीच से बहता रहता है। इसका पानी बहुत पवित्र माना जाता है। जब भी तीर्थयात्री कोई तीर्थस्थान से होकर आते हैं, तो वह चित्तौड़गढ़ आने के बाद अपनी यात्रा को पूरा करने के लिए गौमुख कुण्ड ज़रूर जाते हैं। यह प्राकृतिक रूप से बना बहुत ही खूबसूरत कुण्ड है।
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2.7 महासती चित्तौड़गढ़ Mahasati Chittorgarh in Hindi
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Mahasati |
महासती चित्तौड़गढ़ से 110 किलोमीटर दूर स्थित एक पवित्र स्थान है, क्योंकि यहाँ उदयपुर के शासकों का अंतिम संस्कार किया जाता था। यहाँ एक जलाशय है, यत्र माना जाता है कि इस जलाशय में गंगा का पानी आता है। यहाँ 19 राजाओं का अंतिम संस्कार किया गया था,जिन्हें याद कर ने के लिए यहाँ 19 छत्रियां बनाई गई हैं। यह बहुत ही खूबसूरत संरचना है। जिसे देखने के लिए लोग यहाँ आते हैं।
2.8 राणा कुम्भा का महल चित्तौड़गढ़ Rana Kumbha's Palace Chittorgarh in Hindi
राणा कुम्भा का महल चित्तौड़गढ़ किले के अन्दर स्थित, एक खूबसूरत महल है। यह राणा कुम्भा का निवास स्थान था। चित्तौड़गढ़ के सूरवीर राणा कुम्भा ने इस भव्य महल का निर्माण 15 वीं शताब्दी में किया था। आज यह महल जरजर हालत में है। लेकिन पत्थरों से बना यह महल आज भी अपनी वीर गाथा सुनाता है और राजपूत वास्तुकला का परिचय देता है। कहा जाता है कि राणा उदयसिंह का जन्म इसी महल में हुआ था। इसी महल में रानी पद्मिनी ने सेकड़ों रानियों के साथ जौहर किया था।
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2.9 पद्मिनी पैलेस चित्तौड़गढ़ Padmini Palace Chittorgarh in Hindi
पद्मिनी पैलेस चित्तौड़गढ़ दुर्ग में स्थित एक सफेद रंग की तीन मंज़िला इमारत है। पद्मिनी पैलेस रानी पद्मिनी का निवास स्थान था। रानी पद्मिनी रावल रतन सिंह की पत्नी थीं। यह महल रानी पद्मिनी की बुद्धिमत्ता और शौर्य का प्रतीक है। यह महल एक झील के बीच में बनाया गया है, जिसकी वास्तुकला काफी आकर्षक है। यह महल फारसी शैली में बनाया गया है। यह महल अन्य महलों से छोटा है, परन्तु खूबसूरती में किसी महल से कम नहीं। चित्तौड़गढ़ दुर्ग में यह महल मुख्य आकर्षणों में से एक है, जिसे देखने के लिए सैलानी दूर दूर से आते हैं।
2.10 भैंसरोड़गढ़ वन्यजीव अभयारण्य चित्तौड़गढ़ Bhainsrorgarh Wildlife Sanctuary in Hindi
भैंसरोड़गढ़ वन्यजीव अभयारण्य चित्तौड़गढ़ ज़िले में स्थित है। यह खूबसूरत और आकर्षक स्थल है। यह 195 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यह पर्वतीय क्षेत्र भैंसरोड़गढ़ के निकट निवास करने वाले वन्यजीवों की सुरक्षा के उद्देश्य से बनाया गया है। यह 1983 में स्थापित किया गया है। यहाँ आपको कई प्रकार के वन्यजीव और पक्षी देखने को मिलेंगे।
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3. चित्तौड़गढ़ घूमने का सबसे अच्छा समय Best Time to Visit in Chittorgarh in Hindi
अगर आप चित्तौड़गढ़ घूमने का प्लान बना रहे हैं तो, आप के लिए चित्तौड़गढ़ घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच का है। मार्च के बाद यहाँ गर्मी तेज़ हो जाती है, जिसमें घूमना मुश्किल हो जाता है।
4. चित्तौड़गढ़ का प्रमुख स्थानीय भोजन Famous Local Food in Chittorgarh in Hindi
जिस प्रकार राजस्थान अपने गौरवशाली इतिहास के लिए जाना जाता है, उसी प्रकार यहाँ के क्षेत्रीय व्यंजन भी काफी स्वादिष्ट हैं। यहाँ के व्यंजनों में घी, मसालों का अधिक उपयोग होता है। यह स्वादिष्ट होने के साथ साथ हेल्दी भी होता है। चित्तौड़गढ़ में खाए जाने वाले प्रमुख व्यंजनों में दाल बाटी चूरमा, गट्टे की सब्जी़, मावा कचौड़ी, मिर्च वड़ा, प्याज़ की कचौड़ी, बाजरे की राब आदि हैं। चित्तौड़गढ़ जाना हो तो इन व्यंजनों का आनंद लेना न भूलें।
5. चित्तौड़गढ़ कैसे पहुंचे How to Reach Chittorgarh in Hindi
चित्तौड़गढ़ उदयपुर शहर से 112 किलोमीटर है। चित्तौड़गढ़ बस, ट्रेन , हवाई जहाज़ आदि साधनों से पहुंचा जा सकता है।
5.1 सड़क मार्ग से चित्तौड़गढ़ कैसे पहुंचे How to Reach Chittorgarh by Road in Hindi
चित्तौड़गढ़ राजस्थान के बड़े शहरों उदयपुर, जयपुर,जोधपुर से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। इन शहरों से आपको बस या टैक्सी की सुविधा उपलब्ध है। चित्तौड़गढ़ दिल्ली से 566 किलोमीटर की दूरी पर है।
5.2 हवाई मार्ग द्वारा चित्तौड़गढ़ कैसे पहुंचे How to Reach Chittorgarh by Airplane in Hindi
चित्तौड़गढ़ से सबसे पास का हवाई अड्डा उदयपुर है, जो चित्तौड़गढ़ से 70 किलोमीटर की दूरी पर है। यहाँ से चित्तौड़गढ़ बस या टैक्सी से पहुंचा जा सकता है। सड़क मार्ग से चित्तौड़गढ़ पहुंचने में 1 घण्टा 30 मिनट का समय लगता है।
5.3 रेल मार्ग से चित्तौड़गढ़ कैसे पहुंचे How to Reach Chittorgarh by Train in Hindi
चित्तौड़गढ़ में चित्तौड़गढ़ जंक्शन स्थित है,और दक्षिणी राजस्थान के सबसे बड़े रेलवे जंक्शनों में से एक है। यह जंक्शन चित्तौड़गढ़ को राजस्थान और भारत के अन्य बड़े शहरों से जोड़ता है। यहाँ से आप टैक्सी की सहायता से प्रमुख स्थलों पर पहुँच सकते हैं।
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